ऐसा ही एक नील-हरित शैवाल है सायनोफोरो पेराडॉक्सा ।
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नील-हरित शैवाल में भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्षमता होती है ।
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सामान्य उपयोग में आ रहे जैव उर्वरक राइजोबियम एजेटोबैक्टर प्रजातियां तथा नील-हरित शैवाल हैं ।
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नील-हरित शैवाल) के साथ हुई, जिसने बड़ी विषम-पोषणज कोशिकाओं में प्रवेश किया और क्लोरोप्लास्ट बन गई.
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नील-हरित शैवाल का अतिरिक्त लाभ यह है कि इसके उपयोग से लवणीय भूमियों में लवणीयता कम हो जाती है ।
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सभी हरे पौधो एवं नील-हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है, इसी वर्ग में आते हैं तथा उत्पादक कहलाते हैं।
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सभी हरे पौधों एवं नील-हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है, इसी वर्ग में आते हैं तथा उत्पादक कहलाते हैं।
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प्रो. सिन्हा और उनकी टीम ने बिहार के राजगीर जिले में स्थित गरम कुंड में जमी नील-हरित शैवाल (काई) के नमूने को लिया और उनमें निहित तत्वों को जाना।
9.
कौन-से जीव सूर्य के प्रकाश एवं क्लोरोफ़िल की उपस्थिति में अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक पदार्थ जैसे कि, शर्करा ; चीनी एवं मंड का निर्माण कर सकते हैं? सभी हरे पौधो एवं नील-हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है, इसी वर्ग में आते हैं तथा उत्पादक कहलाते हैं।